• राणा गुरजीत सिंह ने सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेका, सभी के लिए की खुशहाली की कामना

    कांग्रेस नेता राणा गुरजीत सिंह रविवार को अमृतसर में सचखंड श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में मत्था टेकने पहुंचे। उन्होंने वहां प्रार्थना की, सभी लोगों के कल्याण की कामना की और ईश्वर का धन्यवाद किया

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    अमृतसर। कांग्रेस नेता राणा गुरजीत सिंह रविवार को अमृतसर में सचखंड श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में मत्था टेकने पहुंचे। उन्होंने वहां प्रार्थना की, सभी लोगों के कल्याण की कामना की और ईश्वर का धन्यवाद किया।

    कांग्रेस नेता राणा गुरजीत सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं किसी काम से अमृतसर एयरपोर्ट आया था और मेरे पास दो घंटे का समय था। इस दौरान मैं सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के दर्शन करने आ गया।

    उन्होंने कहा कि मैं सदैव सच्चे राजा के सामने भिखारियों की तरह आता हूं, और वह मेरी जेबें भर देता है। कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस 2027 के लिए अच्छी तैयारी कर रही है और एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी। वर्तमान राजनीतिक उठापटक बंद होनी चाहिए और आलाकमान को चीजों को अपने हाथ में लेना चाहिए।

    पंजाब में नशे की समस्या पर राज्यपाल के अभियान को प्रतीकात्मक बताते हुए कहा कि यह समस्या अभी भी बनी हुई है। यदि केंद्र सरकार बीएसएफ और पंजाब सरकार राज्य पुलिस को इसमें शामिल करे तो नशे पर काबू पाया जा सकता है।

    बठिंडा की महिला कांस्टेबल मामले में उन्होंने बीएसएफ और पंजाब पुलिस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि पंजाब सरकार स्थिति को पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर पा रही है। भाजपा और वक्फ बिल पर उन्होंने कहा कि हरसिमरत बादल और राजा वड़िंग ने अच्छी बातें कही, जिनकी वे सराहना करते हैं, लेकिन हमें लगता है ये बातें देर से कही गईं।

    बता दें कि भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव केजी श्रीनिवास ने बीते शनिवार को अमृतसर के पवित्र सचखंड श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में मत्था टेका था।

    वे जलंधर और अमृतसर में पासपोर्ट कार्यालय के काम से आए थे, लेकिन सबसे पहले स्वर्ण मंदिर के दर्शन को प्राथमिकता दी। 22 साल बाद यहां आने का मौका मिलने पर उन्होंने इसे खास बताया था।

    मीडिया से बातचीत में श्रीनिवास ने कहा था, "मैं दिल्ली से आया हूं। जालंधर और अमृतसर में पासपोर्ट ऑफिस का कुछ काम था। जालंधर में एक नया सेवा केंद्र भी शुरू हुआ है। जैसे ही मैं यहां उतरा, मैंने कहा कि पहले हरमंदिर साहिब जाऊंगा और मां का आशीर्वाद लूंगा। 22 साल बाद मुझे यह मौका मिला है। यहां आकर जो सुकून और शांति मिलती है, उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है।"

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